Saturday, October 10, 2020

अस्मत

हाहाकार मचा हुआ है चारो  ओर 
क्या कोई समझाएगा ये कैसा है शोर,
जब भी कोई निर्भया, 
प्रियंका और मनीषा बनती है,
तब ही सड़कों पर हर एक के हाथ में 
मोमबत्ती क्यों जलती है,
जलती क्यों नहीं ?
हर एक के सिने  में ज्वाला 
जब सड़कों पर कोई निगाह 
किसी भी आती जाती लड़की को घूरती है।

झगड़ा भले हम आपस में ही करें 
या फिर किया हो
किसी ने भी कोई भी अपराध,
चाहे चोरी, डकैती, हत्या या बलात्कार,
पर गालियाँ हमेशा हर एक की जुबां से
माँ-बहन-बेटी की ही निकलती हैं ,
अपशब्द बोलकर भी अस्मत 
इनकी ही लूटी जाती है । 

क्यों, नहीं ? हम अपने आचरण,
विचार, और व्यवहार में 
भी थोड़ा संस्कार लाए,
हर वक़्त बेटियों को ही नही 
बेटों को भी इज्जत और 
आदर करना सिखाए । 

यदि दो-चार संस्कार ,
हम अपने बेटों के भी 
DNA में डाल दे,
नज़रों की हया थोड़ी सी
अपने बेटों को भी सीखा दें ,
तो शायद कोई दूसरी
मनीषा  की जुबां नहीं कटेगी,
कोई प्रियंका  जिंदा नही जलेगी,
और शायद किसी की
बेटी निर्भया  नहीं मरेगी ।

                       ------ नीतू कुमारी 

Friday, October 2, 2020

पुरुषार्थ




स्त्री को कमजोर समझने वाले 
हे! महापुरुष, 
धिक्कार है तेरे पुरुषार्थ पर।

क्या? अपनी पुरुषार्थ का प्रमाण 
तुम इस प्रकार दोगे,
नारी वर्ग का अपमान 
हर प्रकार से करोगे,
कभी घरेलू अत्याचार , 
तो कभी अपनी कुपोषित 
मानसिकता से प्रहार,
और सबसे घिनौना कृत्य 
उसका बलात्कार।

स्त्री की गरिमा खंडित 
करने वाले पुरुष नहीं 
वो नपुंसक है,
कुंठित मानसिकता का 
वो तो धोतक है।

जिस मार्ग से तूने 
दुनिया में कदम रखा 
उसका तू सम्मान कर,
तेरी पुरुषार्थ का यही होगा प्रमाण 
कि तू स्त्री का ना अपमान कर।

अगर यही हाल रहा 
तेरे पुरुषार्थ का तो
तेरा अस्तित्व ही मिट जाएगा ,
फिर तू अपना ये पुरुषार्थ का 
मिथक किसे सुनाएगा।

तेरे पुरुषार्थ का दमन चक्र
कब तक स्त्री सहेगी,
तू और उसे कितना डराएगा
पर आखिर तुझसे स्त्री क्यों डरेगी,
यदि वह तुझे पैदा ही ना करेगी।

---- नीतू कुमारी ✍️

Thursday, August 20, 2020

गर्भावस्था

एक स्त्री की तकलीफ जो वह 9 महीने सहती है, शारीरिक अथवा मानसिक रूप से....



मां बनने का एहसास,
होता है बहुत खास,
वह मन में उठती बेचैनियां,
शरीर में होती परेशानियां,
कभी चाह खाने का खट्टा,
तो कभी चाह खाने का मिट्ठा,
अपनों से उम्मीद भरी नजरें,
पर अपनों के कई नखरे।

मन हो जाता है तब खिन्न,
जब समझते हमें भिन्न,
अपने अंदर एक 
जीव को भी पालना,
और साथ ही साथ 
पूरे परिवार को संभालना,
समय के साथ एक-एक
दिन मुश्किल लगता है,
बैठना, चलना , सोना, खाना
सब कुछ भारी लगता है।

पर खुद की परेशानियों 
को भूल जाओ,
खुद की तकलीफों
को ना बतलाओ,
क्योंकि तुमसे भी
ज्यादा बाकी बीमार हैं,
तुम्हें क्या हुआ है 
तुम हाथ पैर से 
थोड़ी ना लाचार है।

चाहे महीना आठवां चढ़े
या चढ़े महीना नवां,
फर्क किसी को पड़ता नहीं,
सुबह-शाम फरमाइश
किसी का रुकता नहीं,
जब कोई दिल का
हाल नहीं समझता,
तो दिल बहुत 
जोर से है दुखता।

पर दिल को दे लेते हैं दिलासा,
अब छोटे मेहमान के 
आने की है जो आशा,
खुद को खुश रखना
भी है जरूरी,
क्योंकि मां बनना
चाहत है हर नारी की,
ना की एक मजबूरी।

------ नीतू कुमारी✍️

Sunday, July 12, 2020

बहन का प्यार

बहन के प्यार का
कोई मोल नहीं,
भाई बहन के रिश्ते
जैसा कोई अनमोल नहीं ,
चाहे बहन हो बड़ी ,
चाहे हो वो छोटी,
हर एक भाई की
चाहत है कि,
उसके आंगन में भी
एक बहन होती।

बहन जो हो बड़ी तो ,
छोटे भाई की दीदी कहलाए,
अपने छोटे भाई को
वो गोद में झुलाए,
नींद नहीं आने पर
लोरी भी सुनाएं,
अपने हिस्से की रोटी
भी उसे खिलाएं,
घर पर मां नहीं हो तो
वह मां भी उसकी बन जाए,
बड़ी बहन के रूप में
अपना हर एक फर्ज निभाए।

छोटी बहन करें शरारत,
भैया के साथ वह इठलाए,
दोस्त बनकर भैया के
हर एक राज को छुपाए,
कभी डराए, कभी धमकाए,
बेवजह पापा से मार भी खिलवाए,
पर अपने भैया के लिए
वह सब से लड़ भी जाए।

बड़ी बहन मां का रूप,
छोटी बहन दोस्त स्वरूप,
हर रूप में बहन का प्यार ,
भाई के प्रति दुलार,
होता है पूर्णतः  निस्वार्थ,
इस जगत में हैं प्रेम के कई प्रकार,
उन प्रकारों में सबसे सुंदर,
सबसे पावन भाई-बहन का प्यार।

                   ----- नीतू कुमारी✍️




Monday, July 6, 2020

सावन की बूंदे


कल-कल करता स्वर सरिता,
टप-टप बूंदे बारिश की,
धीर-अधीर करता यह सावन,
जैसे हो कोई साजिश बारिश की।

ताल, झरने, झील, सरिता,
हैं आगोश बारिश की,
मानव पशु पक्षी सारे
झेल रहे साजिश बारिश की।

चांद-चकोर, तोता-मोर, पपीहा-कोयल,
बोले सब एक ही बोल,
एक दूजे से मिलन की बेला आई है,
जिस की साजिश बारिश ने रचाई है।

मन व्याकुल, तन व्याकुल,
व्याकुल धरा का प्यार,
देख सावन की बूंदों को
तृप्त हुआ संसार ।

            ----- नीतू कुमारी ✍️




Thursday, July 2, 2020

दिल के राज़


देखा आज उसे
बहुत दिनों के बाद ,
ताज़ा हो गए वो
सारे गुज़रे लम्हें
जो कभी बिताए थे
उसके साथ
दिल में जगा गए थे
जो कई जज़्बात।

एक बार फिर
पास वो मेरे आई, 
थोड़ी सी मुसकाई,
और हाल मेरा
उसने पूछ लिया ,
कुछ भी ठीक नहीं है, 
ये बताऊं उसे, कैसे ?
दिल के राज
दिखाऊं उसे, कैसे ?

वो पल भी तो
बहुत बेवफा था ,
जब राज-ए-दिल
अपना खोल न पाया,
दिल में छुपी उसके
लिए जो चाहत थी,
उसे बोल ना पाया,
देख सामने उसको 
होठ मेरे सील जाते थे,
सिर्फ उसे देखने की खातिर 
हम मिलों चले जाते थे।

उसकी एक मुस्कान पर
दिल अपना हमने वार दिया,
उसके नाम हमने तो
अपना पूरा संसार किया,
पर वो हो गई किसी और की,
और मेरे  पास रह गई 
सिर्फ उसकी यादें,
ये यादें अब दिल की
धड़कन बन गई,
उम्र भर के लिए
तड़पन बन गई।

                --- नीतू कुमारी ✍️

Wednesday, July 1, 2020

शुभ प्रभात


नूतन दिवस, नूतन नजारा,
चहूं ओर फैला उजियारा ।
आसमान में बिखरती  किरणे,
मिटा दे ह्रदय का अंधियारा।।

--- नीतू कुमारी ✍️

Tuesday, June 30, 2020

सहमी सी तान्या...


सहमी-सहमी सी रहती थी
वह देख खुद की परछाई,
बालपन में घटी जो घटना
उसमें नहीं थी कुछ अच्छाई,
तब दुनियादारी कि भी
उसे कहां समझ थी आई।

वह तो थी मात्र सात बरस की,
एक निश्चल, निर्मल कन्या,
मां जगदंबा सा रूप था
नाम था उसका तान्या,
मां बाबा की लाडली थी
और भैया की वो बहना प्यारी,
कभी इठलाती, कभी इतराती
बिल्कुल थी वह बावरी।

एक दिन उसके बाबा का
एक दोस्त घर आया,
तान्या के लिए भी
वह चॉकलेट टॉफी लाया,
देख कर टॉफी
तान्या का जी ललचाया,
टॉफी लेते वक्त वो
थोड़ा सा घबरा गई ,
पर अपना बाबा जैसा समझ
दोस्त अंकल के गोद में आ गई ।

तान्या को छूते ही
उस अंकल के मन में पाप समाया ,
बिठाकर अपनी गोद में
उसके कई अंगों को दबाया,
"उफ्फ- उफ्फ दर्द हो रहा है अंकल "
यह कह वह बच्ची वहां से भाग गई ,
बता न सकी किसी को इसके बारे में
क्योंकि वो पूर्णतः घबरा गई।

पर पाप उस पापी के मन में
घुस चुका था इस कदर,
कि अब वह उस बच्ची को
भोगना चाहता था हर पहर,
एक दिन मौका पाकर
वह उसके घर आया,
तान्या को अकेला खेलता देख
उसके मुंह को कसकर
अपनी हथेलियों से दबाया।

लगा रोंदने उसके तन को
जैसे कोई नरभक्षी,
वह फड़फड़ाती रही
खुद को बचाने के लिए
मानो हो एक कैद पक्षी
तभी तान्या के हाथ में
एक  फूलदान आया ,
दिया मार उसके सर पर,
और ख़ुद को उसके
चंगुल से छुड़ाया।

लहूलुहान हो चुका था सर
उस पापी नर पिशाच का,
पर बहुत से सवाल
खड़े कर चुका था
वह इस समाज का,
क्या ? नारी का हर रूप
सिर्फ भोग मात्र है,
उम्र की कोई सीमा नहीं
वह तो केवल पुरुषों के तन की
अग्न मिटाने के पात्र हैं।

आज तान्या का
रोम-रोम सिहर रहा,
देखकर अपनी ही परछाई
उसका आत्मा डर रहा,
इतनी छोटी सी उम्र में
ये क्या घटना उसके साथ घट गई,
क्या इंसानियत इस दुनिया से मर गई।

         एहसास - ए - दिल
         ✍️नीतू कुमारी🙏

Wednesday, June 24, 2020

चाय और तुम...


जो रुठे-रुठे से
रहते हो तुम ,
यह दिल भी
डूबा-डूबा सा रहता है,
एक बार तो समझो
दिल की बेचैनियों को,
यह दिल हर वक्त
तुम्हें ही याद करता है।
आज भी तेरी याद में,
मैं चाय बनाया करता हूं,
एक प्याला खुद का तो
एक तेरे नाम का
पिया करता हूं।
हर एक चाय की
चुस्कियों में
तेरी बातें ढूंढा करता हूं,
तेरे होठों से छुए प्याले को
खुद के होठों पर
महसूस करता हूं।
तुम तो चाय सा
मीठा एहसास हो ,
तुम ही मेरी सरगम
तुम ही मेरी साज़ हो,
तेरी नाराजगी
मंजूर नहीं मुझे
तुम ही तो
मेरा आत्मविश्वास हो।
तेरी नाराजगी का
गुनहगार हूं मैं,
हर पल तेरे
इंतज़ार में बेकरार हूं मैं,
एक बार लौट आओ
मेरी जिंदगी में ,
तेरा वही बिछड़ा
हुआ प्यार हूं मैं ।

         ----- नीतु कुमारी✍️

Monday, June 22, 2020

सुप्रभात



चिड़ियों की चहचहाहट से
 गूंज उठा आकाश,
सूरज की लालिमा से
 फैल चुका प्रकाश,
नया दिन, नया जोश
और नया हो विश्वास,
सभी मित्रों को मेरे
तरफ से  'सुप्रभात' .!!!
                      ----- नीतु कुमारी✍️



अनकहे लम्हे



उनसे वो पहली मुलाकात 
आज भी दिल को याद है,
कुछ अनकहे लम्हें 
आज भी मेरे पास है।
पहली बार जब 
मेरा हाथ था उनके हाथ में,
आज भी उस पर
उनके लबों की 
गरमाहट का एहसास है।।

 ----- नीतु कुमारी✍️

  Unse wo pehli mulakat
Aaj bhi Dil Ko yad hai,
Kuch ankahe Lamhe
Aaj bhi mere paas hai.
Pehli Baar jab
Mera hath tha unke hath mein
Aaj bhi us per
Unke labon ki
Garmahat ka ehsas hai.❤️

----Nitu Kumari✍️


Good Morning



Har ek nya din
Ek nayi kahani
Lekar aata hai,
Kitabein to whi hai
Bas panna palat jata hai.
Good Morning.
❤️ Have a Great Day ❤️


हर एक नया दिन
एक नई कहानी
 लेकर आता है,
किताबें तो वही है
बस पन्ना पलट जाता है।
Good Morning
❤️ Have a Great Day ❤️


Sunday, June 21, 2020

Happy Father's Day


मां की ममता को तो सब ने देखा,
पर पिता के त्याग को कोई देख ना पाया,
कड़ी धूप में खुद को तपाया,
बच्चों के खुशियों के लिए
अपना खून पसीना जलाया,
बच्चों की हर कही-अनकही
ख्वाहिशें पूरी करते करते ,
खुद की ख्वाहिशों को दफनाया ।
Happy fathers day



Maa ki Mamta ko to sab ne dekha,
Par Pita ke tyag ko koi dekh Na Paya,
Kadi dhup mein khud Ko tapaya,
Bacchon ke khushiyon ke liye
Apna khoon pasina Jalaya,
Bacchon ki har kahi-unkahi
Khwahishen Puri karte karte,
Khud ki khwahishon ko dafnaya.
Happy fathers day.

 ----- नीतु कुमारी✍️




अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस



भागदौड़ भरी इस जिंदगी में
हर कोई बस भागा जा रहा है,
पर जाना कहां है ?
किसी ने सोचा है कि,
"स्वास्थ्य से बड़ा खजाना कहां है ?"
यदि रहना चाहो निरोग,
तो अपना लो योग।
जो नित दिन करे योग,
दूर रहे उससे कई रोग।।

Bhag Daud Bhari is jindagi mein
Har koi bus bhaga ja raha hai,
Per Jana Kahan hai?
Kisi ne socha hai ki
"Swasthya se bada khajana kahan hai?"
Yadi rahana chaho nirog,
To apna Lo Yoga
Dur rahe usse Kai Rog.

                           ----- नीतु कुमारी✍️
     



Saturday, June 20, 2020

मन



मन तो है बावरा,
जिसका सीमित नहीं है दायरा,
पल में भटक सा जाता है,
दिमाग को भ्रमाता है,
जो मन पर काबू कर पाए,
वही असल विजेता कहलाए।

Man to hai baawra,
Jiska simit nhi hai daayra,
Pal me bhatk sa jata hai,
Dimag ko bhrmata hai,
Jo man par kaabu kar paye,
Whi asal vijeta kahlaye.

                          ----- नीतु कुमारी✍️

Friday, June 19, 2020

देशप्रेम


हिंदी, चीनी भाई-भाई
नेहरू के वक्त का था नारा,
हिंदी,चीनी बाय-बाय
करने का वक्त है हमारा।
छोटी-छोटी आँखों से
वह आँख हमें दिखाता है,
हमारी सीमा में घुसने का
दुस्साहस वो कर जाता है।
सीमा पर खड़े हैं
माँ भारती के शेर,
चुन-चुन कर जो
करते हैं दुश्मनों को ढेर।
जिस धरती ने दुनिया को
अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
कभी भी दूसरों की सीमा में
अपना न हक जताया।
फिर क्यों पड़ोसी मुल्क
हर बार आँख दिखाता है,
कभी पाकिस्तान तो कभी चीन
हमसे लड़ने चला आता है।
हर बार हमारे वीरों ने
इन को हराया है ,
अपनी सीमा से
खदेड़ दूर भगाया है।
सीमा पर खड़े सैनिक तो
माँ भारती के लिए
अपनी जान देने को है तैयार ,
फिर हम आम नागरिक
क्यों न करें इन चीनियों
के भी बटुए पर वार।
हमने ही तो चीनियों के
बटुए को मजबूत बनाया है,
उनके दो कौड़ियों के समान को
अपने सर आँखों पर बिठाया है ।
अब इसका नतीजा
निकल कर सामने आ रहा,
हमारे खरीदे सामान के एवज में
आज हमारा वीर सैनिक
अपनी छाती पर गोलियां खा रहा।
हर एक गोली के पीछे
की हिस्सेदारी हमारी है,
अब देशप्रेम निभाने की बारी हमारी है।
कर बहिष्कार चीनियों के
सामान का उनकी अर्थव्यवस्था
को हमें हिलाना है,
सीमा पर तैनात सैनिकों का
हौसला भी हमें बढ़ाना है।

                    ----- नीतु कुमारी✍️

Thursday, June 18, 2020

कंचन



कंचन था नाम उसका 
जो हर सुबह
मेरी गलियों से 
गुजरा करती थी, 
हाथों में किताब
और आंखों में सपने
लिए घुमा करती थी,
हौसला था उसका कुछ
कर गुजरने का ,
पंख लगा ऊंची
उड़ान भरने का।
कच्ची उम्र में, 
उसके हौसलों को 
अपनों ने ही तोड़ दिया,
एक अधेड़ उम्र के
पुरुष  से उसका 
रिश्ता जोड़ दिया,
बहुत चिल्लाई, 
बहुत गिड़गिड़ाई, 
हाथ भी अपने जोड़ लिए ,
पर निष्ठुर थे 
वो मां-बाप जो 
बेटी को बोझ कह,
उसका पूर्ण जीवन
एक अधेड़ के 
साथ झोक दिए।
वह शहनाई की
गूंज नहीं थी ,
वो तो था 
एक शंखनाद 
उसके नई जिंदगी
की लड़ाई का ,
पीछे छूट गया सपना
कंचन के पढ़ाई लिखाई का,
अब तो बस हर रात 
कंचन काया तोड़ी जाती,
बिस्तर पर हर रात
कंचन की आत्मा निचोड़ी जाती ।
14 की उम्र में 
गर्भधारण उसने कर लिया,
खुद की कोमल काया में 
एक नन्हे जीवन 
का भार  सह लिया ,
फिर आई प्रसव पीड़ा की रात 
पर इस पीड़ा को 
वह ना झेल पाई, 
आंखों में सपने लिए 
कंचन  कुछ ना बोल पाई,
मौन हो गई सदा के लिए वो
और मौन हो गए उसके सपने
काश उसके मां-बाप 
हो पाते उसके अपने।
कंचन था नाम उसका 
जो हर सुबह
मेरी गलियों से 
गुजरा करती थी, 
हाथों में किताब
और आंखों में सपने
लिए घुमा करती थी,
बस सपने लिए घुमा करती थी... 
बस कुछ बेमाने सपने .....

                      ----- नीतु कुमारी✍️

Wednesday, June 17, 2020

नीर


Jab se hue ho mujhse dur Tum 
Aankhen nit din Neer bahati hai,
Kambakht aankhen to hai bewafa meri
Jo bewaqt Teri yad mein 
Barsat kar jati hai .

जब से हुए हो मुझसे दूर तुम 
आँखे नित दिन नीर बहाती है ,
कमबख्त आँखे तो हैं बेवफ़ा मेरी
जो बेवक्त तेरी याद में
बरसात कर जाती है।

                         ----- नीतु कुमारी✍️

Monday, June 15, 2020

शहर



शहर की हवा में 
घुला कैसा यह ज़हर है,
भागे जा रहे हैं लोग 
और जिंदगी बेअसर है।
ना दोस्त है यहां, 
ना साथी कोई,
बस अपनी ही परेशानियों में 
घिरा हर एक शख्स है,
'अवसाद' के माहौल में 
हर एक का डूबता जा रहा अक़्श है।
शहर की चकाचौंध में 
जीना ना भूल जाना,
एक बार लौटकर  
अपने गांव जरूर आना।
गांव की मिट्टी को भी छू कर देखो 
आज भी तुझे याद किए जा रही है,
तेरे बिताए बचपन को आज भी
अपने आंचल में समेटे जा रही है।

                    ----- नीतु कुमारी✍️

Sunday, June 14, 2020

वृद्ध आश्रम


थी बूढ़े माँ-बाप को ज़रूरत अपने बच्चों की,
पर उन बच्चों को ज़रूरत थी बस उनके दौलत की।
एक दिन सब कुछ नाम अपने करवा लिया,
बूढ़े माँ-बाप को वृद्ध आश्रम पहुंचा दिया।।


Thi budhe maa-baap ko zarurat 
apne bachchon ki,
Par un bachchon ko zarurat 
thi bas unke daulat ki.
Ek din sab kuchh naam apne krwa liya,
Budhe maa-baap ko vridh asharam pahuncha diya.

                              ----- नीतु कुमारी✍️

आईना



दुनिया से झूठ बोल सकते हो,
लेकिन अपने आप से नहीं ।
जब सामना होगा आईना से,
तो आईना झूठ बोलेगा नहीं।

Duniya se jhuth bol sakte ho ,
Lekin apne aap se nhi.
Jab Samna hoga aaina se,
To aaina jhuth bolega nhi.

                  ----- नीतु कुमारी✍️

क्यों? हार गया, सुशांत !



था वो बिहार (पटना) का साधारण सा लड़का ,
जिसने बॉलीवूड में लगाया अपने अभिनय का तड़का।

'पवित्र रिश्ता' में 'मानव' का किरदार निभाया,
'मानव' बन हर एक का दिल लुभाया ,
'काय पो चे ' से बॉलीवूड में काम पाया ,
'एम. एस. धोनी- द अन टोल्ड स्टोरी' में
अपने अभिनय का लोहा मनवाया,
'छिछोरे' बन कर ज़िंदगी से लड़ना सिखाया।

फिर तू !  क्यों ? हार गया सुशांत,
क्यों ? हो गया तू पूर्ण शांत ।
ऐसा भी क्या करना था तुझे आराम,
की लगा लिया अपनी ज़िंदगी में पूर्ण विराम,
मात्र चौतीस (34) की उम्र में,
कर लिया तूने अपना काम तमाम ।

अब सारा हिंदुस्तान है सदमे में ,
क्या 'अवसाद' का परिणाम  होता इतना गहरे में ?

                                         ----- नीतु कुमारी✍️


Saturday, June 13, 2020

तन्हाई के आलम


तन्हाई के आलम ने मुझे क़ातिब बना दिया,
दिल के दर्द को मैंने कागज पे उतार दिया।
आब-ए-तल्ख़ सी हो गई जिंदगी मेरी,
उनके इंतजार में ताउम्र मैंने तन्हा गुजार दिया।।


Tanhai ke aalm ne mujhe kaatib bna diya,
Dil kedard ko maine kaagz peutaar diya.
Aab-e-talkh si ho gyi zindgi meri,
Unke intezar me taumar
maine tanha gujar diya.

                        ----- नीतु कुमारी✍️



Kya tuta kuchh pata nhi,
Jo tuta wo dikha nhi,
Hum to khush thai apni tanhai me,
Wah bewafa tha jo hme mila nhi.

क्या टूटा कुछ पता नहीं,
जो टूटा वह दिखा नहीं,
हम तो खुश थे अपनी तन्हाई में,
वो बेवफ़ा था जो हमें मिला नहीं।

                       ----- नीतु कुमारी✍️

Thursday, June 11, 2020

आकाश



काश मैं भी एक परिंदा होती,
स्वच्छंद आकाश में उन्मुक्त उड़ती।
तोड़ सारे पाबन्दियां,
खुल कर मैं भी चहकती।।

Kash mai bhi ek parinda hoti,
Sawchnd aakash me unmukt udti.
Tod saare paabndiyan,
Khul kar me bhi chahakti.
  
                     ----- नीतु कुमारी✍️

Wednesday, June 10, 2020

माँ- बाप

डगमगाते क़दमों  को चलना माँ- बाप ने सिखाया,
कांधे पर बिठाया और गोद में झूला झुलाया।
दुनिया की हर बुरी नजर से बचाया,
खुद पर विश्वास करने का हुनर भी बतलाया।।

जब कांधे उनके झुक जाएं,
और कदम भी थक जाएं।
तब उनकी जिंदगी कि आस तुम ही हो,
जीने के लिए विश्वास तुम ही हो।।

                  ----- नीतु कुमारी✍️

Tuesday, June 9, 2020

जिंदगी अधूरी है

तुम बिन दिन अधूरे हैं,
तुम बिन रातें अधूरी हैं,
तुम बिन गीत अधूरे हैं,
तुम बिन रित अधूरी हैं,
तुम बिन विश्वास अधूरे हैं,
तुम बिन सांसे अधूरी हैं,
तुम बिन साज अधूरे हैं,
तुम बिन मेरा श्रृगांर अधूरा हैं,
तुम बिन जीवन का हर राग अधूरा है,
तुम बिन बंदगी अधूरी है,
तुम बिन तो मेरी पूरी ' जिंदगी अधूरी है '।
                                  ----- नीतु कुमारी✍️

Sunday, June 7, 2020

भूख




तोड़ती रही पत्थर वो सारा दिन तपती धूप में,
रोता रहा बच्चा उसका भूख में।
थी मजबूरियां कुछ उसकी इस कदर,
की बांध ली ममता की गठरी 
उसने अपनी पीठ पर।।

Todti rhi patthar wo
sara din tapti dhup me,
Rota rha bachcha uska bhukh me.
Thi majburiyan kuchh uski is kadar,
Ki bandh li Mamata ki gathri
Usne apni pith par.

                               ----- नीतु कुमारी✍️


झुकी नज़र


उनकी झुकी नज़र ने कुछ ऐसा कहर किया,
दिल में छुपी चाहत पर अपना असर किया,
दिल थाम के बैठे रहे हम भरी महफ़िल में,
और उन्होंने अपना दिल किसी और के नाम किया।।

Unki jhuki nazar ne kuchh esa kahar kiya,
Dil me chhupi chaht par apna asar kiya,
Dil tham ke bathe rhe hum
Bhari mehfil me,
Aur unhone apna Dil kisi aur ke naam kiya.

                          ----- नीतु कुमारी✍️

Saturday, June 6, 2020

नयन



देखकर तेरी ये अदा,
दीवाने का दिल हो जाता है तुझ पर फिदा।
होठों पर रखती हो खामोशी सदा ,
पर 'नैनों' से सवाल करने का
हुनर है तेरा सबसे जुदा।।

Dekhkar teri ye ada,
Deewane ka dil ho jata hai tujh par fida.
Hothon par rkhti ho khaamoshi sada,
Par naino se sawal krne ka
Hunar hai tera sabse juda.

                                          ----- नीतु कुमारी✍️



मुस्कुराहट बनो



बनना है तो किसी के होठों की मुस्कुराहट बनो,
आंखों का पानी बनने में क्या मजा।

जीना है तो औरों के लिए जी कर देखो ,
खुद के लिए जीने में क्या मजा।

हसरतें हो कोई तो उसे पाने की कोशिश करो ,
उन हसरतों को दिल में दबाने का क्या मजा। 

अगर मंजिल लगे तुझे दूर तो चलते चलो,
थक कर बैठ जाने में क्या मजा।

झेलना है तो जिंदगी की परेशानियों को झेलो,
परेशानियों से डरकर मौत को चुनने में क्या मजा।

जिंदगी है चार दिनों की इसे खुल कर जिओ,
हर रोज उम्र को गिनने का क्या मजा।

बनना है तो किसी के होठों की मुस्कुराहट बनो,
आंखों का पानी बनने में क्या मजा।
                                 
                         ----- नीतु कुमारी✍️

Friday, June 5, 2020

दंभ



भरते हैं दंभ जो अपनी उड़ान का,
एक बार खुद को आजमा के तो देखें।
खुले आसमान में तो सभी पतंग उड़ा लेते हैं ,
एक बार तेज बारिश में उड़ा के तो देखें।

Bharte Hain dambh  Jo apni udan ka,
Ek bar khud ko aajma k to dekhen.
Khule Aasman mein to sabhi Patang uda lete Hain
Ek bar Tej barish mein uda ke to dekhen.

                                      ----- नीतु कुमारी✍️

पर्यावरण दिवस

हे मानव ! वक्त हैं अभी भी संभल जा,
पर्यावरण को यूं ना तू क्षति पहुंचा ,

जो आज तू ना संभल सका
सब कुछ ख़त्म हो जाएगा,
जो पर्यावरण ही ना बच सका
तो तू विकास कहां से कर पाएगा।

चलो आज हम एक प्रण ले,
वृक्ष हम लगाएँगे ,
अपने पर्यावरण को हरा - भरा बनाएंगे।

              ----- नीतू कुमारी  ✍️

Thursday, June 4, 2020

वक़्त






waqt tha jo ret ki tarh hath se phisal gaya,
Mai whi baithi rhi wah dur kanhi nikal gaya.

वक़्त था  जो रेत की तरह हाथ से फिसल गया,
मैं वहीँ बैठी रही वह दूर कहीं निकल गया।

                                            ----- नीतू कुमारी  ✍️



Wednesday, June 3, 2020

अजन्मा


हे मां!  क्या वह इंसान थे या
इंसान के चेहरे में कोई हैवान थे,
क्या मिला उसे तेरी जीवा जलाकर ,
विस्फोटक वाला तुझे अनानास खिलाकर ,
तू तो मेरे लिए शहर में आई थी,
मेरी भूख मिटाने के लिए तू
वह विस्फोटक अनानास खाई थी,
भटकती रही सारा दिन तू उस शहर में,
क्योंकि मैं तो तेरे अंदर था तेरे गर्भ में ,
जली हुई जीवा से एक निवाला भी तू न खा सकी,
भूखी तड़पती हुई वेल्लियार नदी तक तू आ पहुंची,
खड़ी रही उस नदी में और देह को तूने त्याग दिया,
एक मां और उसके अजन्मे बच्चे को
हे ! मानव तूने मार दिया ।
अब जो प्रकृति तेरा विनाश करें
तो तू भी ना हाहाकार  मचा,
निर्मम प्राणियों की हत्या कर
यूं ना तू अहंकार दिखा ,
ले डूबेगा अहंकार तेरा ही तुझे इस संसार में ,
कभी करोना ,कभी उल्का, कभी भूकंप और कभी तूफान में ,
तेरा विनाश भी पक्का है,
हे मानव ! इस निर्मोही संसार में।
                               ----- नीतू कुमारी  ✍️

उम्मीद



Ummid khud par kro gairon par nhi,
Khud par kiya ummid
Ek din manjil tk phuchayegi,
Jo gairo pr kroge ummid
Kya pta rasta hi bhatk jaoge.

उम्मीद खुद पर करो गैरों पर नहीं,
खुद पर किया उम्मीद
एक दिन मंजिल तक पहुंचाएगी ,
जो गैरों पर करोगे उम्मीद
क्या पता रास्ता ही भटक जाओगे।

                                     ----- नीतू कुमारी  ✍️

कोशिश


जरुरी नहीं कि हर एक पत्थर  पर फल का नाम लिखा हो ,
कुछ पत्थर कोशिशों के नाम भी होती हैं।


Jaruri nhi ki har ek patthr par phal ka naam likha ho,
Kuchh patthr koshishon ke naam bhi hoti hai.

                          ----- नीतू कुमारी  ✍️

आफताब ढल गया




बैठी जो जिंदगी का हिसाब करने हर हिसाब उलझ गया,
ना जाने आज क्यों ऐसा लगा की,
शहर - ए - सुकून की चाहत में ,
दिल- ए - आफ़ताब ढल गया।


Baithi jo jindgi ka hisab krne hr hisab ulajh gya,
Na jane aaj kyon esa laga ki,
Sehr-e-sukun ki chaht me,
Dil -e- Aaftab dhal gya.

                                         ----- नीतू कुमारी  ✍️

Tuesday, June 2, 2020

ख्वाहिशें




जिंदगी की ज़द्दोज़हद में
 कुछ ख्वाहिशें पीछे छूट गई ,
अपनों  की ख्वाहिशें पूरी करते-करते
खुद की ख्वाहिशें टूट गई।



jindgi ki zadodehd me
kuchh khwahishen pichhe chhut gai,
Apno ki khwahishen puri krte-krte
 khud ki khwahishen tut gai.

                                            ----- नीतू कुमारी  ✍️


Thursday, May 28, 2020

हसरत-ए-दिल

हसरत-ए-दिल की अब तो छुपाई नहीं जाती ,
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
कट जाती है तमाम शब यूं आँखो में ,
कि अब तो पलकें भी झपकाई नहीं जाती।

करवटें बदल-बदल कर परेशान  है हम,
क्योंकि अपनी आहें भी खुद सुनाई नहीं जाती,
लगा कैसा रोग  हमें ,
अब तो यह किसी को बताई भी नहीं जाती।

भूख, प्यास ,नींद, चैन तमाम चीजें ,
अब तो आजमाई नहीं जाती,
आपकी गम-ए-जुदाई में भर आती है आँखें मेरी,
पर अश्क-ए-पैमाना छलकाई भी नहीं जाती।

इस दर्द-ए-रोग की दवा है पास आपके ,
पर आपको यह रोग हमसे दिखाई भी नहीं जाती,
आपकी यादों के गलीफें पर सोते हैं हम ,
पर आपसे तो प्यार की चादर ओढ़ाई भी नहीं जाती।

हसरत-ए-दिल की अब तो छुपाई नहीं जाती ,
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
है जो इलाज़ मेरे  इस मर्ज़ का पास आपके,
तो इसके इलाज़ में यूं देर लगाई नहीं जाती।
                                             ----- नीतू कुमारी  ✍️





Sunday, May 17, 2020

मजदूर था वो....

मजबूर था वो, क्योंकि मजदूर था वो,
बेबस था वो, लाचार था वो,
अपने हालत का शिकार  था वो,
बस मजबूर था वो, क्योंकि मजदूर था वो।।

थी जद्दोज़ेहद उसे  ....
दो वक़्त की रोटी कमाने की,
बूढ़े माँ-बाप का सहारा बनने की,
बहन के हाथों में मेहँदी रचाने की,
अपने बच्चों के भविष्य को सवारने की।।

थी मजबूरियाँ उसकी इस कदर,
की जा पहुँचा अपने गाँव से मीलों दूर,
उस अजनबी सपनों के शहर,
जहाँ जगमगाती थी उम्मीदें ,
और चमचमातें थे सपने,
भले उससे दूर हो उसके अपने।।

अचानक वक़्त का पहियाँ घुमा,
सबकुछ एक पल में थम सा गया,
जो कल तक जगमगा रहे थे शहर,
आज वही सन्नाटा सा पसर गया।।

एक बार फिर  ....
वो मजदूर था, जो आज वापस से मजबूर हो गया,
अब सपनों के उस शहर में ,
जीना उसका मुहाल हो गया,
वापस से अपने गाँव लौटने को,
मजदूर बेहाल हो गया।।

जो भीड़ कल तक गाँव से शहर की ओर आती  ,
आज वो शहर से गाँव  हो गया,
कोई पैदल तो ,कोई साईकिल पर ही सवार हो गया,
कई तो कफ़न में लिपट कर पहुँचे अपने गाँव ,
आज उसका पूरा परिवार ही कंगाल हो गया।।

क्योंकि मजदूर था वो, बस मजबूर था वो ,
हाँ बस मजबूर था वो, क्योंकि मजदूर था वो !!

                                     ----- नीतू कुमारी  ✍️

Wednesday, May 13, 2020

विकार

रमा के हाथ से मोबाइल नीचे गिर पड़ा और वो दीवार से चिपक के सुबकने लगी। दिल तो ज़ोर - ज़ोर से रोने को चाह रहा था पर रमा अपनी सिसकियों को रोकने की  भरपूर कोशिश में थी । अपने हथेलियों से मुँह को दबा रखा था, पर आँखें तो निरंतर बरसात किए जा रही थी। कल ही तो भैया दिल्ली से  बाइपास सर्जरी करवा कर घर लौटे  है । घर में सब यूँ ही भैया की तबीयत को लेकर परेशान है और इस हालत में अपने जज़बात को दबाने की पूरी कोशिश रमा कर रही थी।

 रमा 35 की हो चुकी थी पर अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी  । उससे छोटी दो और बहनें  है -  उमा और जया।  दोनों अपने ससुराल में पति और बच्चों के साथ सुखमय जीवन गुजार रही हैं । रमा का जन्म ही एक विकार के साथ हुआ जो उसकी जिंदगी का ग्रहण बन गया। रमा का एक पैर दूसरे पैर से २ इंच छोटा था पर रमा खेलना , कूदना, सीढियाँ चढ़ना सब कर पाती थी और वो अपने इस विकार साथ खुश थी ।

जब रमा 16 की हुई  तो उसके भैया को किसी ने बताया की ऑपरेशन से रमा का पैर बिलकुल ठीक हो जाएगा । रमा को भी जब ये बात पता चली वो काफी खुश हो गई, कई सपने उसके आँखों के आगे नाचने-झुमने लगे । इंटर का पेपर देने के बाद रमा का पैर का ऑपरेशन हुआ,  एक साल पूरी तरह से उसके बिस्तर पर निकल गए । रमा बहुत खुश थी की अब मैं भी आम लड़कियों की तरह हो जाऊँगी । पर विधाता तो जैसे रमा को उसके विकार के साथ ही देखना चाहते हो , रमा का पैर पहले २ इंच छोटा बड़ा था जो अब ऑपरेशन के बाद १/२ इंच कम ही रह गया और तकलीफ़े पहले से न जाने कितने गुना ज्यादा बढ़ गई ।

अब रमा दवाइयों के कारण  थोड़ी मोटी भी हो गई पहले जैसे भाग-दौड़ भी नही कर पाने लगी । मुश्किलें पहले से ज्यादा बढ़ गई। फिर भी उसने खुद को संभाला और आगे अपने पढ़ाई को पूरा करने का फैसला किया । अब वापस से रामा अपने पढ़ाई में लग गई। इसी बीच उसकी दोनों छोटी बहनों की शादी भी हो गई , पर रमा सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी में जुट गई और इस कारण पटना चली गई।

यही वो दौर था जब थोड़ी खुशियों के बौछार रमा के दामन में भी आए । 'विजय' नाम था उसका, जो रमा के सूने जीवन में बहार बन कर आया था , अब रमा को भी विजय का साथ अच्छा लगने लगा था । विजय रमा की हर छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखता था । धीरे-धीरे रमा ने विजय को अपना सबकुछ मान लिया था । विजय ने रमा को भरोसा दिलाया की "मुझे तुम्हारे इस विकार से कोई फर्क नही पड़ता, मैं  तुमसे तुम्हारे इस विकार के साथ प्यार करता हूँ , और मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ ।" रमा को मानो पंख लग आए हो और वो बस अपने इन पंखो के सहारे अपने सपनों के आसमान में स्वछ्न्द उड़ना चाह रही थी । विजय ने रमा से वादा किया कि जैसे ही मेरी नौकरी लगेगी मै अपने माता - पिता से हमारे रिश्ते कि बात करूँगा ।

आज विजय हाथ में मिठाई का डब्बा लिए रमा के पास पहुँच गया । " खट - खट, खट - खट, खट - खट" , "अरे बाबा आ रही हूँ, अब दरवाजा ही तोड़ दोगे क्या "कहती हुई जैसे ही रमा ने दरवाजा खोला, विजय ने उसे अपने बाहों मे भर लिया । " रमा - रमा, ओ मेरी प्यारी रमा,  मेरी नौकरी लग गई, रेलवे में ASM का पोस्ट है। ओ मेरी रमा,  आज मैं बहुत खुश हूँ । " इतना कहते हुए विजय ने मिठाई का टुकड़ा रमा के मुँह में भर दिया । आज रमा भी बहुत खुश थी । विजय और रमा इतने खुश थे कि सारी पाबन्दियों को भूलते हुए एक दूसरे में समाने से खुद को रोक न पाए, और विजय के प्यार के उस तूफान में  रमा खुद को बहने से न बचा पाई क्योंकि वो खुद भी इस समंदर में डूब जाना चाहती थी ।

दोनों एक दूजे के बांहों में लिपटे सो गए । तभी रमा के मोबाइल कि आवाज ने उसके नींद को तोड़ दिया, रमा ने मोबाइल देखा ' अरे ! भाभी का फोन ! ' "हाँ ! हेलो ! भाभी " रमा हड्बड़ाई आवाज में बोली । दूसरी तरफ से भाभी के रोने कि आवाज आ रही थी , और रोते हुए भाभी ने कहा  "रमा , तेरे भैया को दिल का दौरा आया है, तुम आज ही घर आ जाओ, हमें तुम्हारे भैया का बाइपास सर्जरी के लिए दिल्ली जाना होगा, घर पर बच्चे अकेले है, तुम आ जाओ बच्चों का ख्याल रखने" । "ठीक है भाभी, आज ही मैं निकलती हूँ,। " कह कर रमा ने फोन काट दिया । उसने विजय को बताया कि मुझे आज ही घर जाना होगा भैया कि तबीयत खराब है । विजय ने उसे दिलासा दिया कि,  तुम आराम से जाओ , मैं, हमारे रिश्ते के बारे में अपने माता-पिता को बता कर शादी के लिए राजी कर लूँगा । तुम भी जब भैया ठीक हो जाएगे तो घर में बता देना , तब तक के लिए मेरा हर प्यार हर एक पल के लिए तुम्हारे साथ ही तो है ।

रमा घर आ गई । भैया का ऑपरेशन भी सफल रहा । रमा घर और बच्चों कि भी ज़िम्मेदारी अच्छे से संभाल रही थी । आज वो अपने और विजय के बारे में भैया को बताना ही चाह रही थी कि उसका फोन बज उठा । विजय का ही फोन था , वो  खुशी से फोन उठा के बोली " अरे विजय ! कहाँ थे इतने दिनों से, तुम्हारा फोन ही नही लग रहा था । मैं भैया से हमारे बारे में बात करना चाह रही थी । "रमा" , विजय ने कहा , " सुनो तो सही मेरी बात , मेरी शादी हो गई, मेरे माता-पिता के पसंद कि लड़की से । मेरे माता - पिता हमारे रिश्ते के लिए राजी नहीं  हुए वो तुम्हारे इस विकार को स्वीकार नही कर सके , और मैं  मेरे माता - पिता के विरुद्ध नही जा सका ।" "रमा , हम अब भी पहले कि तरह मिल सकते है, सबकुछ वैसा ही रहेगा । "

रमा के तो पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई और आंखो में आँसुओ का सैलाब उमड़ गया , उसके हाथ से फोन नीचे गिर पड़ा, और उसका 'विकार' उसके सामने खड़ा था ।
                                                                             
                                          ----- नीतू कुमारी  ✍️

Tuesday, May 12, 2020

ये तो सोचा न था...


यूं  मिल जाएगें हम दोनों एक दूजे से
ये तो सोचा न था,
अनजाने से दोस्त हो जाएगें हम
ये तो सोचा न था,
दोस्ती प्यार में बदल जाएगी
और रंग जाउंगी मैं, उसके प्यार में
ये तो सोचा न था।

प्यार का रंग यूं गहरा हो जाएगा
ये तो सोचा न था,
हम इस प्यार में  खो जाएगें
दुनियाँ तो क्या ,
खुद को ही बिसरायेगें ,
ये तो सोचा न था।

पर एक दिन  तुम रूठ जाओगें ,
ये तो सोचा न था,
प्यार में दगा दे जाओगे
ये तो सोचा न था,
हमें भुला कर , एक अजनबी बना कर
तुम किसी गैर के हो जाओगें ,
ये तो सोचा न था।
                         ----- नीतू कुमारी  ✍️


Monday, May 11, 2020

दूरियाँ

यूं दूरियाँ बर्दाश्त नहीं होती,
अब ये मजबूरियाँ बर्दाश्त नहीं होती,
बंद परिंदे सी जिंदगी हो गई है मेरी,
ये पाबंदियाँ बर्दाश्त नहीं होती।

तोड़ सारे बंधन,
उड़ जाने को जी करता है,
अगर कैद होना भी है तो,
आपके पलकों में कैद होने को जी करता है।

दिल में बस एक मलाल है,
की दूर हूँ आपसे,
पर दिल में एक सुकून है ,
की पास हूँ आपके।

यादों में ही सही ,
यादों की सौगातों में ही सही,
खुली पलकों के सामने ना सही,
बंद पलकों के आगोश तले ही सही। 
                                      ----- नीतू कुमारी  ✍️

एक लड़की का रिश्ता ...

जिंदगी में ऐसा मोड़ आया,
शादी का प्रस्ताव चारों ओर से आया....
पापा ने अपने दोस्त  के लड़के से बात चलाई,
मम्मी भी मेरिज ब्यूरो में पता लगाई।

मामा भी कहाँ  कम थे,
अगले दिन ही पहुँच गए लेकर एक रिश्ता,
कहा दीदी, लड़का ऊचे पोस्ट पर है ,...
लड़की का नसीब उच्च कोस्ट पर है।

जल्दी बात चलाओ,
कहीं रिश्ता हाथ से फिसल न जाये,
लड़की अभी तक तो अंदर है,
कहीं घर से निकल न जाये।

अगले दिन का हाल सुनो,  बुवा का पत्र आया....
पत्र जब मैंने खोला , दिल धक् से बोला,
इसमें भी लड़के का ही जिक्र है,
सबको मेरे रिश्ते की ही फ़िक्र  है।

कोई मुझ पर भी तो ध्यान करो,
मेरी मर्जी का तो सम्मान करो।
अभी करने तो मुझे आगे पढ़ाई ,
भले कुछ साल के बाद कर देना मेरी सगाई।।

                                            ----- नीतू कुमारी  ✍️


Saturday, May 9, 2020

तन्हाई




कब्र की मिट्टी उठा ले गया कोई,
इसी बहाने हमें छु गया कोई,
तनहाई और अंधेरे में खुश थे,
अब फिर इंतज़ार की वजह दे गया कोई। 



kabr ki mitti utha le gya koi,

isi bahane hame chhu gaya koi,

tanhai aur andhere me khush the,

ab fir intzar ki wazah de gya koi. 

मोहब्बत



दिल से कैसे निकले मोहब्बत आपकी ,
जबकि घर कर गई है दिल में सूरत आपकी.
क्या बताऊँ आपसे कितनी मोहब्बत है मगर ,
क्यों हमारे वास्ते है सिर्फ नफरत आपकी।



Dil se kese nikale mohbbat aapki, 

Jabki ghar kar gai hai dil  me surat aapki.

Kya batau aapse kitni mohbbat hai magar,

Kyu hmare waste hai sirf nafarat aapki.