Wednesday, June 10, 2020

माँ- बाप

डगमगाते क़दमों  को चलना माँ- बाप ने सिखाया,
कांधे पर बिठाया और गोद में झूला झुलाया।
दुनिया की हर बुरी नजर से बचाया,
खुद पर विश्वास करने का हुनर भी बतलाया।।

जब कांधे उनके झुक जाएं,
और कदम भी थक जाएं।
तब उनकी जिंदगी कि आस तुम ही हो,
जीने के लिए विश्वास तुम ही हो।।

                  ----- नीतु कुमारी✍️

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