जो रुठे-रुठे से
रहते हो तुम ,
यह दिल भी
डूबा-डूबा सा रहता है,
एक बार तो समझो
दिल की बेचैनियों को,
यह दिल हर वक्त
तुम्हें ही याद करता है।
आज भी तेरी याद में,
मैं चाय बनाया करता हूं,
एक प्याला खुद का तो
एक तेरे नाम का
पिया करता हूं।
हर एक चाय की
चुस्कियों में
तेरी बातें ढूंढा करता हूं,
तेरे होठों से छुए प्याले को
खुद के होठों पर
महसूस करता हूं।
तुम तो चाय सा
मीठा एहसास हो ,
तुम ही मेरी सरगम
तुम ही मेरी साज़ हो,
तेरी नाराजगी
मंजूर नहीं मुझे
तुम ही तो
मेरा आत्मविश्वास हो।
तेरी नाराजगी का
गुनहगार हूं मैं,
हर पल तेरे
इंतज़ार में बेकरार हूं मैं,
एक बार लौट आओ
मेरी जिंदगी में ,
तेरा वही बिछड़ा
हुआ प्यार हूं मैं ।
----- नीतु कुमारी✍️
👍
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