Monday, June 15, 2020

शहर



शहर की हवा में 
घुला कैसा यह ज़हर है,
भागे जा रहे हैं लोग 
और जिंदगी बेअसर है।
ना दोस्त है यहां, 
ना साथी कोई,
बस अपनी ही परेशानियों में 
घिरा हर एक शख्स है,
'अवसाद' के माहौल में 
हर एक का डूबता जा रहा अक़्श है।
शहर की चकाचौंध में 
जीना ना भूल जाना,
एक बार लौटकर  
अपने गांव जरूर आना।
गांव की मिट्टी को भी छू कर देखो 
आज भी तुझे याद किए जा रही है,
तेरे बिताए बचपन को आज भी
अपने आंचल में समेटे जा रही है।

                    ----- नीतु कुमारी✍️

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