हसरत-ए-दिल की अब तो छुपाई नहीं जाती ,
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
कट जाती है तमाम शब यूं आँखो में ,
कि अब तो पलकें भी झपकाई नहीं जाती।
करवटें बदल-बदल कर परेशान है हम,
क्योंकि अपनी आहें भी खुद सुनाई नहीं जाती,
लगा कैसा रोग हमें ,
अब तो यह किसी को बताई भी नहीं जाती।
भूख, प्यास ,नींद, चैन तमाम चीजें ,
अब तो आजमाई नहीं जाती,
आपकी गम-ए-जुदाई में भर आती है आँखें मेरी,
पर अश्क-ए-पैमाना छलकाई भी नहीं जाती।
इस दर्द-ए-रोग की दवा है पास आपके ,
पर आपको यह रोग हमसे दिखाई भी नहीं जाती,
आपकी यादों के गलीफें पर सोते हैं हम ,
पर आपसे तो प्यार की चादर ओढ़ाई भी नहीं जाती।
हसरत-ए-दिल की अब तो छुपाई नहीं जाती ,
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
है जो इलाज़ मेरे इस मर्ज़ का पास आपके,
तो इसके इलाज़ में यूं देर लगाई नहीं जाती।
----- नीतू कुमारी ✍️
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
कट जाती है तमाम शब यूं आँखो में ,
कि अब तो पलकें भी झपकाई नहीं जाती।
करवटें बदल-बदल कर परेशान है हम,
क्योंकि अपनी आहें भी खुद सुनाई नहीं जाती,
लगा कैसा रोग हमें ,
अब तो यह किसी को बताई भी नहीं जाती।
भूख, प्यास ,नींद, चैन तमाम चीजें ,
अब तो आजमाई नहीं जाती,
आपकी गम-ए-जुदाई में भर आती है आँखें मेरी,
पर अश्क-ए-पैमाना छलकाई भी नहीं जाती।
इस दर्द-ए-रोग की दवा है पास आपके ,
पर आपको यह रोग हमसे दिखाई भी नहीं जाती,
आपकी यादों के गलीफें पर सोते हैं हम ,
पर आपसे तो प्यार की चादर ओढ़ाई भी नहीं जाती।
हसरत-ए-दिल की अब तो छुपाई नहीं जाती ,
हाल -ए -दिल भी बताई नहीं जाती,
है जो इलाज़ मेरे इस मर्ज़ का पास आपके,
तो इसके इलाज़ में यूं देर लगाई नहीं जाती।
----- नीतू कुमारी ✍️
Nice
ReplyDeleteBahut achcha hai likhte jaiye
ReplyDeleteधन्यवाद,
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