Thursday, February 11, 2021

आलिंगन


बाहों के गलियारे में 
हर गम मिट जाता है,
एक प्यार भरा आलिंगन 
हर एक दिल चाहता है।

बच्चे का रुदन
सुकून में बदल जाता है,
जब वह अपनी मां के
 गले लग पाता है।

पुत्र की तरक्की पर पिता का 
सीना चौड़ा हो जाता है, 
प्यार भरी झप्पी 
पिता-पुत्र का प्रेम दर्शाता है।

बेटी की विदाई पर 
बाबुल का हृदय व्यथित हो जाता है,
पिता पुत्री के अंकमाल देख 
पत्थर आंख भी बरस जाता है।

प्रियतम के स्नेहालिंगन से 
प्रेयसी का प्रेम चरम तृप्ति पाता है,
एक प्यार भरा परिरंभन दिल के दर्द पर 
दवा सा असर कर जाता  है।

नीतू कुमारी ✍️









Thursday, February 4, 2021

मौसम जिंदगी का


जिंदगी के मौसम का मिजाज़ 
हर कदम पर बदल रहा...,
कभी तूफ़ान, 
तो कभी वृष्टी का उफ़ान, 
कभी सर्द हवाओं से हौसला टूट रहा..., 
जिंदगी तेरी बेरुखी की तपिश से
मेरा कलेजा जल रहा...।
ए जिंदगी ! अब ये बता 
कब आएगी बसंत बाहर...,
खुशियों के रंगों की 
कब पड़ेगी फुहार....,
मेरी आकांक्षाओं का 
कब होगा श्रावणी  श्रृंगार...,
ए जिंदगी ! अब तू ही बता 
कब तक करू मैं
सुहाने मौसम के आने का इंतजार...।



नीतू कुमारी ✍️

Saturday, October 10, 2020

अस्मत

हाहाकार मचा हुआ है चारो  ओर 
क्या कोई समझाएगा ये कैसा है शोर,
जब भी कोई निर्भया, 
प्रियंका और मनीषा बनती है,
तब ही सड़कों पर हर एक के हाथ में 
मोमबत्ती क्यों जलती है,
जलती क्यों नहीं ?
हर एक के सिने  में ज्वाला 
जब सड़कों पर कोई निगाह 
किसी भी आती जाती लड़की को घूरती है।

झगड़ा भले हम आपस में ही करें 
या फिर किया हो
किसी ने भी कोई भी अपराध,
चाहे चोरी, डकैती, हत्या या बलात्कार,
पर गालियाँ हमेशा हर एक की जुबां से
माँ-बहन-बेटी की ही निकलती हैं ,
अपशब्द बोलकर भी अस्मत 
इनकी ही लूटी जाती है । 

क्यों, नहीं ? हम अपने आचरण,
विचार, और व्यवहार में 
भी थोड़ा संस्कार लाए,
हर वक़्त बेटियों को ही नही 
बेटों को भी इज्जत और 
आदर करना सिखाए । 

यदि दो-चार संस्कार ,
हम अपने बेटों के भी 
DNA में डाल दे,
नज़रों की हया थोड़ी सी
अपने बेटों को भी सीखा दें ,
तो शायद कोई दूसरी
मनीषा  की जुबां नहीं कटेगी,
कोई प्रियंका  जिंदा नही जलेगी,
और शायद किसी की
बेटी निर्भया  नहीं मरेगी ।

                       ------ नीतू कुमारी 

Friday, October 2, 2020

पुरुषार्थ




स्त्री को कमजोर समझने वाले 
हे! महापुरुष, 
धिक्कार है तेरे पुरुषार्थ पर।

क्या? अपनी पुरुषार्थ का प्रमाण 
तुम इस प्रकार दोगे,
नारी वर्ग का अपमान 
हर प्रकार से करोगे,
कभी घरेलू अत्याचार , 
तो कभी अपनी कुपोषित 
मानसिकता से प्रहार,
और सबसे घिनौना कृत्य 
उसका बलात्कार।

स्त्री की गरिमा खंडित 
करने वाले पुरुष नहीं 
वो नपुंसक है,
कुंठित मानसिकता का 
वो तो धोतक है।

जिस मार्ग से तूने 
दुनिया में कदम रखा 
उसका तू सम्मान कर,
तेरी पुरुषार्थ का यही होगा प्रमाण 
कि तू स्त्री का ना अपमान कर।

अगर यही हाल रहा 
तेरे पुरुषार्थ का तो
तेरा अस्तित्व ही मिट जाएगा ,
फिर तू अपना ये पुरुषार्थ का 
मिथक किसे सुनाएगा।

तेरे पुरुषार्थ का दमन चक्र
कब तक स्त्री सहेगी,
तू और उसे कितना डराएगा
पर आखिर तुझसे स्त्री क्यों डरेगी,
यदि वह तुझे पैदा ही ना करेगी।

---- नीतू कुमारी ✍️

Thursday, August 20, 2020

गर्भावस्था

एक स्त्री की तकलीफ जो वह 9 महीने सहती है, शारीरिक अथवा मानसिक रूप से....



मां बनने का एहसास,
होता है बहुत खास,
वह मन में उठती बेचैनियां,
शरीर में होती परेशानियां,
कभी चाह खाने का खट्टा,
तो कभी चाह खाने का मिट्ठा,
अपनों से उम्मीद भरी नजरें,
पर अपनों के कई नखरे।

मन हो जाता है तब खिन्न,
जब समझते हमें भिन्न,
अपने अंदर एक 
जीव को भी पालना,
और साथ ही साथ 
पूरे परिवार को संभालना,
समय के साथ एक-एक
दिन मुश्किल लगता है,
बैठना, चलना , सोना, खाना
सब कुछ भारी लगता है।

पर खुद की परेशानियों 
को भूल जाओ,
खुद की तकलीफों
को ना बतलाओ,
क्योंकि तुमसे भी
ज्यादा बाकी बीमार हैं,
तुम्हें क्या हुआ है 
तुम हाथ पैर से 
थोड़ी ना लाचार है।

चाहे महीना आठवां चढ़े
या चढ़े महीना नवां,
फर्क किसी को पड़ता नहीं,
सुबह-शाम फरमाइश
किसी का रुकता नहीं,
जब कोई दिल का
हाल नहीं समझता,
तो दिल बहुत 
जोर से है दुखता।

पर दिल को दे लेते हैं दिलासा,
अब छोटे मेहमान के 
आने की है जो आशा,
खुद को खुश रखना
भी है जरूरी,
क्योंकि मां बनना
चाहत है हर नारी की,
ना की एक मजबूरी।

------ नीतू कुमारी✍️

Sunday, July 12, 2020

बहन का प्यार

बहन के प्यार का
कोई मोल नहीं,
भाई बहन के रिश्ते
जैसा कोई अनमोल नहीं ,
चाहे बहन हो बड़ी ,
चाहे हो वो छोटी,
हर एक भाई की
चाहत है कि,
उसके आंगन में भी
एक बहन होती।

बहन जो हो बड़ी तो ,
छोटे भाई की दीदी कहलाए,
अपने छोटे भाई को
वो गोद में झुलाए,
नींद नहीं आने पर
लोरी भी सुनाएं,
अपने हिस्से की रोटी
भी उसे खिलाएं,
घर पर मां नहीं हो तो
वह मां भी उसकी बन जाए,
बड़ी बहन के रूप में
अपना हर एक फर्ज निभाए।

छोटी बहन करें शरारत,
भैया के साथ वह इठलाए,
दोस्त बनकर भैया के
हर एक राज को छुपाए,
कभी डराए, कभी धमकाए,
बेवजह पापा से मार भी खिलवाए,
पर अपने भैया के लिए
वह सब से लड़ भी जाए।

बड़ी बहन मां का रूप,
छोटी बहन दोस्त स्वरूप,
हर रूप में बहन का प्यार ,
भाई के प्रति दुलार,
होता है पूर्णतः  निस्वार्थ,
इस जगत में हैं प्रेम के कई प्रकार,
उन प्रकारों में सबसे सुंदर,
सबसे पावन भाई-बहन का प्यार।

                   ----- नीतू कुमारी✍️




Monday, July 6, 2020

सावन की बूंदे


कल-कल करता स्वर सरिता,
टप-टप बूंदे बारिश की,
धीर-अधीर करता यह सावन,
जैसे हो कोई साजिश बारिश की।

ताल, झरने, झील, सरिता,
हैं आगोश बारिश की,
मानव पशु पक्षी सारे
झेल रहे साजिश बारिश की।

चांद-चकोर, तोता-मोर, पपीहा-कोयल,
बोले सब एक ही बोल,
एक दूजे से मिलन की बेला आई है,
जिस की साजिश बारिश ने रचाई है।

मन व्याकुल, तन व्याकुल,
व्याकुल धरा का प्यार,
देख सावन की बूंदों को
तृप्त हुआ संसार ।

            ----- नीतू कुमारी ✍️




Thursday, July 2, 2020

दिल के राज़


देखा आज उसे
बहुत दिनों के बाद ,
ताज़ा हो गए वो
सारे गुज़रे लम्हें
जो कभी बिताए थे
उसके साथ
दिल में जगा गए थे
जो कई जज़्बात।

एक बार फिर
पास वो मेरे आई, 
थोड़ी सी मुसकाई,
और हाल मेरा
उसने पूछ लिया ,
कुछ भी ठीक नहीं है, 
ये बताऊं उसे, कैसे ?
दिल के राज
दिखाऊं उसे, कैसे ?

वो पल भी तो
बहुत बेवफा था ,
जब राज-ए-दिल
अपना खोल न पाया,
दिल में छुपी उसके
लिए जो चाहत थी,
उसे बोल ना पाया,
देख सामने उसको 
होठ मेरे सील जाते थे,
सिर्फ उसे देखने की खातिर 
हम मिलों चले जाते थे।

उसकी एक मुस्कान पर
दिल अपना हमने वार दिया,
उसके नाम हमने तो
अपना पूरा संसार किया,
पर वो हो गई किसी और की,
और मेरे  पास रह गई 
सिर्फ उसकी यादें,
ये यादें अब दिल की
धड़कन बन गई,
उम्र भर के लिए
तड़पन बन गई।

                --- नीतू कुमारी ✍️

Wednesday, July 1, 2020

शुभ प्रभात


नूतन दिवस, नूतन नजारा,
चहूं ओर फैला उजियारा ।
आसमान में बिखरती  किरणे,
मिटा दे ह्रदय का अंधियारा।।

--- नीतू कुमारी ✍️

Tuesday, June 30, 2020

सहमी सी तान्या...


सहमी-सहमी सी रहती थी
वह देख खुद की परछाई,
बालपन में घटी जो घटना
उसमें नहीं थी कुछ अच्छाई,
तब दुनियादारी कि भी
उसे कहां समझ थी आई।

वह तो थी मात्र सात बरस की,
एक निश्चल, निर्मल कन्या,
मां जगदंबा सा रूप था
नाम था उसका तान्या,
मां बाबा की लाडली थी
और भैया की वो बहना प्यारी,
कभी इठलाती, कभी इतराती
बिल्कुल थी वह बावरी।

एक दिन उसके बाबा का
एक दोस्त घर आया,
तान्या के लिए भी
वह चॉकलेट टॉफी लाया,
देख कर टॉफी
तान्या का जी ललचाया,
टॉफी लेते वक्त वो
थोड़ा सा घबरा गई ,
पर अपना बाबा जैसा समझ
दोस्त अंकल के गोद में आ गई ।

तान्या को छूते ही
उस अंकल के मन में पाप समाया ,
बिठाकर अपनी गोद में
उसके कई अंगों को दबाया,
"उफ्फ- उफ्फ दर्द हो रहा है अंकल "
यह कह वह बच्ची वहां से भाग गई ,
बता न सकी किसी को इसके बारे में
क्योंकि वो पूर्णतः घबरा गई।

पर पाप उस पापी के मन में
घुस चुका था इस कदर,
कि अब वह उस बच्ची को
भोगना चाहता था हर पहर,
एक दिन मौका पाकर
वह उसके घर आया,
तान्या को अकेला खेलता देख
उसके मुंह को कसकर
अपनी हथेलियों से दबाया।

लगा रोंदने उसके तन को
जैसे कोई नरभक्षी,
वह फड़फड़ाती रही
खुद को बचाने के लिए
मानो हो एक कैद पक्षी
तभी तान्या के हाथ में
एक  फूलदान आया ,
दिया मार उसके सर पर,
और ख़ुद को उसके
चंगुल से छुड़ाया।

लहूलुहान हो चुका था सर
उस पापी नर पिशाच का,
पर बहुत से सवाल
खड़े कर चुका था
वह इस समाज का,
क्या ? नारी का हर रूप
सिर्फ भोग मात्र है,
उम्र की कोई सीमा नहीं
वह तो केवल पुरुषों के तन की
अग्न मिटाने के पात्र हैं।

आज तान्या का
रोम-रोम सिहर रहा,
देखकर अपनी ही परछाई
उसका आत्मा डर रहा,
इतनी छोटी सी उम्र में
ये क्या घटना उसके साथ घट गई,
क्या इंसानियत इस दुनिया से मर गई।

         एहसास - ए - दिल
         ✍️नीतू कुमारी🙏