हर कदम पर बदल रहा...,
कभी तूफ़ान,
तो कभी वृष्टी का उफ़ान,
कभी सर्द हवाओं से हौसला टूट रहा...,
जिंदगी तेरी बेरुखी की तपिश से
मेरा कलेजा जल रहा...।
ए जिंदगी ! अब ये बता
कब आएगी बसंत बाहर...,
खुशियों के रंगों की
कब पड़ेगी फुहार....,
मेरी आकांक्षाओं का
कब होगा श्रावणी श्रृंगार...,
ए जिंदगी ! अब तू ही बता
कब तक करू मैं
सुहाने मौसम के आने का इंतजार...।
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