अपने बिछड़े साजन से हम,
सपनों में मिल कर रोते हैं ।
जब आँख हमारी खुलती है,
सचमुच नैना तर होते हैं।
जब कोई मुद्दत बाद मिले,
तो जी भर बातें होती हैं।
हमको ना जगाए कोई बस,
हम सबसे कह कर सोते हैं।
ना जाने तुम हमको साजन,
किस पल किस ख़्वाब में मिल जाओ।
तुमको देने को कुछ कलियाँ ,
सिरहाने रख कर सोते हैं ।
हमको मालूम है , तुम हमको
सचमुच तो नहीं मिल पाओगे।
सपनों में ही पा लें तुमको,
ये हसरत ले कर सोते हैं ।
सुबह के सपने में आकर ,
मिलने का वादा कर जाओ।
दुनियाँ कहती है की ,
सुबह के सपने सच होते हैं ।
----- नीतू कुमारी ✍️
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