Friday, April 10, 2020

तू जाग जरा



ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा,
हर एक के मन में सवाल है 
दुनिया पर फतह हासिल करने का कमाल है। 

ये दुनिया है अमीरों की 
खेल है सब तकदीरों की ,
पैसे का ही तो मेला है
वरना कौन सा झमेला है । 

पैसे के है रिश्ते यहाँ 
पैसे के है नाते,
पैसे के बिना वरना 
कौन किसके काम आते । 

न कोई बंधु , न कोई भ्राता 
न कोई रिश्ता , न कोई नाता
पैसे के ओट मेँ ,
हर एक पाप है छुप जाता । 


ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा,
चारो ओर मचा हाहाकार है,
हर एक दूसरे को कुचलने को तैयार है। 

कुचलकर सर उसका 
आगे बढ़ने की चाह है ,
यही तो आज के युग मेँ 
सफलता का सही राह है । 

और तू सो रहा है
यूँ अपनी आंखे मीचे,
दुनियाँ की इन तीखी सच्चाईयों से ,
खुद को दूर खिचे।


ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा। 
                                    
                                       ----- नीतू कुमारी  ✍️


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