दिन सहेलियों में बीता होगा लेकिन,
रातें कैसे तुमने बिताई, कुछ कहो ना।
कह गई थी आऊँगी मैं पाचवें दिन ,
ज़िंदगी है चार दिन की , कुछ कहो ना।
सर्द मौसम तुम नहीं हो क्या करू मैं,
ओढ़कर तन्हा रज़ाई, कुछ कहो ना ।
कब कहां तुमने वहां क्या - क्या किया,
दे रही हो जो सफाई, कुछ कहो ना ।
करते हो हमसे भला तुम क्यूं गुरेज,
हमने जब पकड़ी कलाई, कुछ कहो ना ।
कौन सी वो बात थी जो मुझको चाहा,
क्या दिया मुझमें दिखाई, कुछ कहो ना।
----- नीतू कुमारी ✍️
रातें कैसे तुमने बिताई, कुछ कहो ना।
कह गई थी आऊँगी मैं पाचवें दिन ,
ज़िंदगी है चार दिन की , कुछ कहो ना।
सर्द मौसम तुम नहीं हो क्या करू मैं,
ओढ़कर तन्हा रज़ाई, कुछ कहो ना ।
कब कहां तुमने वहां क्या - क्या किया,
दे रही हो जो सफाई, कुछ कहो ना ।
करते हो हमसे भला तुम क्यूं गुरेज,
हमने जब पकड़ी कलाई, कुछ कहो ना ।
कौन सी वो बात थी जो मुझको चाहा,
क्या दिया मुझमें दिखाई, कुछ कहो ना।
----- नीतू कुमारी ✍️
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