Saturday, April 11, 2020

कुछ कहो ना

कैसे बीते दिन जुदाई के, कुछ कहो ना ।
क्या हमारी याद आई, कुछ कहो ना।

दिन सहेलियों में बीता होगा लेकिन,
रातें कैसे तुमने बिताई, कुछ कहो ना।

कह गई थी आऊँगी मैं पाचवें दिन ,
ज़िंदगी है चार दिन की , कुछ कहो ना।

सर्द मौसम तुम नहीं हो क्या करू मैं,
ओढ़कर तन्हा रज़ाई, कुछ कहो ना ।

कब कहां तुमने वहां क्या - क्या किया,
दे रही हो जो सफाई, कुछ कहो ना ।

करते हो हमसे भला तुम क्यूं गुरेज,
हमने जब पकड़ी कलाई, कुछ कहो ना ।

कौन सी वो बात थी जो मुझको चाहा,
क्या दिया मुझमें दिखाई, कुछ कहो ना।
                                         ----- नीतू कुमारी  ✍️





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