Thursday, April 16, 2020

लम्हा

लम्हा लम्हा गुजर रहा तेरी जुदाई की याद में ,
लम्हा लम्हा तड़प रहा दिल उस पल की बेवफाई में ।



लम्हा लम्हा गुजर रहा ....................
वो पल जिसने कर दिया जुदा  मुझे
तुमसे हर रात तड़पने के लिए,
वो पल जो काफी है
आज भी मुझे बैचेन करने के लिए ।


लम्हा लम्हा गुजर रहा ....................
दिल चाहता है उस पल का सामना फिर से हो
ताकि शायद रोक सकूँ तुम्हें,
वो जज़बातें जो हम जाहीर न कर पाएं कभी
वो होकर आजाद बन न जाए पैरों की जंजीर कभी।

लम्हा लम्हा गुजर रहा ....................
साँसों की हर तार पर बस  है तुम्हारा ही नाम
याद करने के सिवा तुम्हें नहीं है अब कोई दूसरा काम ,
आकार दे दो मुझको मेरी मुहब्बत का सिला
की अब तो मुझको तुमसे है बस फासला ही मिला ।

लम्हा लम्हा गुजर रहा ....................
कैसे दिलाये एहसास तुम्हें हम करते है प्यार कितना
रोता है दिल और बरसती  है आँखें बस तुम्हारे ही लिए ,
मत लो और मेरा इम्तहान अब
ये गम-ए-जुदाई का और सहा नहीं जाता ,
चले आओं फिर से मेरी दुनियाँ में
करते है बस इतनी ही इल्तिज़ा अब हम,
और यूँ जुदा रहा नहीं जाता ।
                                           ----- नीतू कुमारी  ✍️



Wednesday, April 15, 2020

सुबह के सपने


अपने बिछड़े साजन से हम,
 सपनों में मिल कर रोते हैं ।
जब आँख हमारी खुलती है,
सचमुच नैना तर होते हैं।

जब कोई मुद्दत बाद मिले,
तो जी भर बातें होती हैं।
हमको ना जगाए कोई बस,
हम सबसे कह कर  सोते हैं।

ना जाने तुम हमको साजन,
किस पल किस ख़्वाब में मिल जाओ।
तुमको देने को कुछ कलियाँ ,
सिरहाने रख कर सोते हैं ।

हमको मालूम है , तुम हमको
सचमुच तो नहीं मिल पाओगे।
सपनों में ही पा लें तुमको,
ये हसरत ले कर सोते हैं ।

सुबह के सपने में आकर ,
मिलने का वादा कर जाओ।
दुनियाँ कहती है की ,
सुबह के सपने सच होते हैं । 
                                  ----- नीतू कुमारी  ✍️
                                   






Monday, April 13, 2020

ख्वाब इश्क़ के


बंद पलकों के आगोश तले सपने सजाते थे  कभी,
अब तो खुले आंखो से ही ख़्वाब  देखने लगे।
सजना तो हमें आता ही नहीं था कभी,
पर आप से मिल कर सजने लगे।


देख कर खुद के अक्श को आईने में,
अब शरमाने लगे हैं हम।
चाहा जो आप को हमने ,
खुद को भूलने लगे हैं हम।


खुद को भूल कर खो जाना चाहती हूँ आपमें,
पर कमबख़्त फासलें दरमियाँ हैं हमारे।
मिट जाए ये दूरियाँ, ये फासलें, इल्तिजा हैं रब से,
फिर डूब जाए एक दूजे में कहीं दूर सब से।


प्यार भरे उन प्यारे लम्हों का
इंतज़ार कर रही हूँ,
इंतज़ार, इंतज़ार ही न रह जाए
इस बात से डर रही हूँ ।


इस ज़िंदगानी की अब हर कहानी हो आपके संग,
जिसमें मिल कर भरे हम अपने प्यार के रंग।
चाहत ये मेरी रह न जाए अधूरी,
इसे हकीकत बनाने के लिए आपकी चाहत है जरूरी ।
                                                  ----- नीतू कुमारी  ✍️

Sunday, April 12, 2020

फैसला होना ही था

ज़िंदगी में मुश्किलों का सामना होना ही था,
ख्वाब हम चाहें न चाहें फासला होना ही था।


बेबसी तेरी या मेरी फर्क क्या पड़ता है जब,
दोनों में से एक को बेवफा होना ही था।


ज़िंदगी के कुछ हसीन लम्हों में हम तुम साथ थे,
एक न एक दिन खत्म इसका सिलसिला होना ही था।


कब छुपा है इश्क़ दुनिया में किसी तदबीर से,
हर किसी को इससे एक दिन आशना होना ही था।


ज़िंदगी नकामयाबी जब देखी न थी,
कर दिखाने का नया कुछ हौसला होना ही था ।


मैंने तुमको दी नहीं अपनी सफाई सोच कर,
कौन मुजरिम है ये एक दिन फैसला होना ही था ।

                                        ----- नीतू कुमारी  ✍️



कभी - कभी






कभी-कभी प्यार में तुम जो रूठ  जाती हो,
बहुत अच्छा लगता है जब मनाने पर तुम मुस्कुराती हो ।

कभी-कभी जब तुम मुझसे दूर हो जाती हो ,
बहुत सुहाना लगता है जब पास तुम मेरे आती हो।

कभी-कभी इकरार में जब रोना तुम्हें आता है,
क्या बताए जानेमन मेरा प्यार से दिल भर जाता है।

रहती हो बाहों से अलग तो जीवन सुना लगता है,
प्यार में अक्सर ऐसी बातें होती रहती है।

                                           ----- नीतू कुमारी  ✍️

Saturday, April 11, 2020

कुछ कहो ना

कैसे बीते दिन जुदाई के, कुछ कहो ना ।
क्या हमारी याद आई, कुछ कहो ना।

दिन सहेलियों में बीता होगा लेकिन,
रातें कैसे तुमने बिताई, कुछ कहो ना।

कह गई थी आऊँगी मैं पाचवें दिन ,
ज़िंदगी है चार दिन की , कुछ कहो ना।

सर्द मौसम तुम नहीं हो क्या करू मैं,
ओढ़कर तन्हा रज़ाई, कुछ कहो ना ।

कब कहां तुमने वहां क्या - क्या किया,
दे रही हो जो सफाई, कुछ कहो ना ।

करते हो हमसे भला तुम क्यूं गुरेज,
हमने जब पकड़ी कलाई, कुछ कहो ना ।

कौन सी वो बात थी जो मुझको चाहा,
क्या दिया मुझमें दिखाई, कुछ कहो ना।
                                         ----- नीतू कुमारी  ✍️





Friday, April 10, 2020

तू जाग जरा



ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा,
हर एक के मन में सवाल है 
दुनिया पर फतह हासिल करने का कमाल है। 

ये दुनिया है अमीरों की 
खेल है सब तकदीरों की ,
पैसे का ही तो मेला है
वरना कौन सा झमेला है । 

पैसे के है रिश्ते यहाँ 
पैसे के है नाते,
पैसे के बिना वरना 
कौन किसके काम आते । 

न कोई बंधु , न कोई भ्राता 
न कोई रिश्ता , न कोई नाता
पैसे के ओट मेँ ,
हर एक पाप है छुप जाता । 


ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा,
चारो ओर मचा हाहाकार है,
हर एक दूसरे को कुचलने को तैयार है। 

कुचलकर सर उसका 
आगे बढ़ने की चाह है ,
यही तो आज के युग मेँ 
सफलता का सही राह है । 

और तू सो रहा है
यूँ अपनी आंखे मीचे,
दुनियाँ की इन तीखी सच्चाईयों से ,
खुद को दूर खिचे।


ए इंसान तू जाग जरा
खोल के आंखे दुनियाँ देख जरा। 
                                    
                                       ----- नीतू कुमारी  ✍️