Saturday, October 10, 2020

अस्मत

हाहाकार मचा हुआ है चारो  ओर 
क्या कोई समझाएगा ये कैसा है शोर,
जब भी कोई निर्भया, 
प्रियंका और मनीषा बनती है,
तब ही सड़कों पर हर एक के हाथ में 
मोमबत्ती क्यों जलती है,
जलती क्यों नहीं ?
हर एक के सिने  में ज्वाला 
जब सड़कों पर कोई निगाह 
किसी भी आती जाती लड़की को घूरती है।

झगड़ा भले हम आपस में ही करें 
या फिर किया हो
किसी ने भी कोई भी अपराध,
चाहे चोरी, डकैती, हत्या या बलात्कार,
पर गालियाँ हमेशा हर एक की जुबां से
माँ-बहन-बेटी की ही निकलती हैं ,
अपशब्द बोलकर भी अस्मत 
इनकी ही लूटी जाती है । 

क्यों, नहीं ? हम अपने आचरण,
विचार, और व्यवहार में 
भी थोड़ा संस्कार लाए,
हर वक़्त बेटियों को ही नही 
बेटों को भी इज्जत और 
आदर करना सिखाए । 

यदि दो-चार संस्कार ,
हम अपने बेटों के भी 
DNA में डाल दे,
नज़रों की हया थोड़ी सी
अपने बेटों को भी सीखा दें ,
तो शायद कोई दूसरी
मनीषा  की जुबां नहीं कटेगी,
कोई प्रियंका  जिंदा नही जलेगी,
और शायद किसी की
बेटी निर्भया  नहीं मरेगी ।

                       ------ नीतू कुमारी 

Friday, October 2, 2020

पुरुषार्थ




स्त्री को कमजोर समझने वाले 
हे! महापुरुष, 
धिक्कार है तेरे पुरुषार्थ पर।

क्या? अपनी पुरुषार्थ का प्रमाण 
तुम इस प्रकार दोगे,
नारी वर्ग का अपमान 
हर प्रकार से करोगे,
कभी घरेलू अत्याचार , 
तो कभी अपनी कुपोषित 
मानसिकता से प्रहार,
और सबसे घिनौना कृत्य 
उसका बलात्कार।

स्त्री की गरिमा खंडित 
करने वाले पुरुष नहीं 
वो नपुंसक है,
कुंठित मानसिकता का 
वो तो धोतक है।

जिस मार्ग से तूने 
दुनिया में कदम रखा 
उसका तू सम्मान कर,
तेरी पुरुषार्थ का यही होगा प्रमाण 
कि तू स्त्री का ना अपमान कर।

अगर यही हाल रहा 
तेरे पुरुषार्थ का तो
तेरा अस्तित्व ही मिट जाएगा ,
फिर तू अपना ये पुरुषार्थ का 
मिथक किसे सुनाएगा।

तेरे पुरुषार्थ का दमन चक्र
कब तक स्त्री सहेगी,
तू और उसे कितना डराएगा
पर आखिर तुझसे स्त्री क्यों डरेगी,
यदि वह तुझे पैदा ही ना करेगी।

---- नीतू कुमारी ✍️